अक्सर आपने महसूस किया होगा की अगर घर में चारों ओर गंदगी बिखरी हुई हो। कोई भी चीज अपनी जगह पर नहीं हो और पूरा घर अस्त-व्यस्त हो तो मन में एक ही खीझ उठती है। ऐसे में किसी भी काम को करने का मन नहीं करता। न ही कुछ नया करने का विचार मन में आता है। दरअसल यह इसलिए होता है क्योंकि गंदगी मन और शरीर पर निगेटिव इफेक्ट डालने का काम करती है। ‘पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी बुलेटिन’ में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार थकान, एंग्जाइटी, बिगड़े हुए रिश्ते की एक वजह साफ-सफाई का न होना भी होता है। Mental Health Issues विषय के अंतर्गत आइए विस्तार से समझते हैं की सफाई का मेंटल हेल्थ से क्या कनेक्शन है।
जानिए सफाई का मेंटल हेल्थ से क्या है नाता- Mental Health Issues
जब किसी के कमरें में कोई भी चीज सही तरीके से न रखी गई हो तो दिमाग को कंसन्ट्रेट करने परेशानी का सामना करना पड़ता है। पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी बुलेटिन की एक रिपोर्ट के अनुसार कमरे में यहां-वहां बिखरी हुई चीजें देखकर दिमाग बिना काम किए ही थकान महसूस करने लगता है। इस तरह की सिचुएशन को ‘कॉग्निटिव ओवरलोड’ का नाम दिया जाता है। ऐसे में दिमाग की सोचने-समझने की क्षमता में बदलाव देखने को मिलते हैं। दरअसल दिमाग का काम करने का अपना एक ढंग है। मगर चारों तरफ फैली गंदी दिमाग के काम करने के तरीके पर रुकावट डालने का काम करती है। आइए समझते हैं की दिमाग के काम करने का क्या है तरीका-
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गंदगी दिमाग के काम करने के तरीके को ऐसे करती है प्रभावित- Causes of Mental Health Issues
पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी बुलेटिन की रिपोर्ट के अनुसार मनुष्य का दिमाग सिंगल टास्किंग के अनुसार काम करने के लिए ढला हुआ है। मगर जब किसी जगह बहुत गंदगी फैली हो और सामान इधर-उधर बिखरा हुआ हो तो ऐसे में दिमाग को मल्टी-टास्किंग करने का अनुभव होता है। खास बात ये है की इस तरह की सिचुएशन में बिना काम किए ही दिमाग को थकावट का एहसास होने लगता है। ऐसे में थकान, गुस्सा और चिढ़चिढ़ापन जैसी फीलिंग्स को महसूस करता है।
दिमाग होने लगता है कॉग्निटिव ओवरलोड का शिकार- Reason For Mental Health Issues
मनोवैज्ञानिक कारणों के अनुसार मनुष्य का दिमाग बिना कोई काम किए ही थकान का अनुभव तब करता है जब वो चारों फैली गंदगी के बीच होता है। इससे दिमाग कॉग्निटिव ओवरलोड का शिकार होने लगता है। जिससे कोई भी शख्स एक अजीब मानसिक तनाव को महसूस करता है। जिससे मानव दिमाग की प्रोडक्टिविटी पर भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।
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गंदा कमरा डालता है ये नकारात्मक प्रभाव- Mental Health And Hygiene
- एंग्जायटी और स्ट्रेस का अनुभव
- हर समय चिढ़चिढ़ापन महसूस होना
- दिमाग पर पड़ता है कॉग्निटिव ओवरलोड
- मन को शांत रखने के लिए करनी पड़ती है कड़ी मशक्कत
- जंक फूड और फास्ट फूड खाने की बढ़ जाती है इच्छा
- दिमाग की प्रोडक्टिविटी पर भी पड़ता है बुरा असर
महिलाओं की सेहत पर ज्यादा नकारात्मक असर डालती है गंदगी
महिलाओं की सेहत पर गंदगी का सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। यह खुलासा अमेरिका में 60 जोड़ों पर हुई एक रिसर्च में हुआ। दरअसल पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा कोर्टिसोल रिलीज होता है। कोर्टिसोल हॉर्मोन स्ट्रेस बढ़ाने का काम करता है। इसी वजह से महिलाएं मानसिक तनाव से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो जाती है।
घर में या ऑफिस में गंदगी जमा होने से हो सकती है ये परेशानियां
- दिमाग हर समय एक बात ही अटकी रहती है। इसे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहा जाता है।
- कुछ लोग होर्डिंग डिसऑर्डर का शिकार हो जाते हैं। ऐसे लोग खराब चीजें को फेंकने पर भी डरते हैं।
- ऐसे लोगों में मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर पनपने लग जाता है। जिससे ये हर समय एक अलग ही निराशा में घिरे नजर आते हैं।
- कुछ व्यक्ति किसी एक काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। यह समस्या आमतौर पर अटेंशन डिफिसिट हाइपर एक्टिव डिसऑर्डर है।
- कुछ लोगों में एंग्जायटी डिसऑर्डर पनपने की वजह से वो हर समय चिंता और परेशानी में घिरे रहते हैं। किस्से रोजमर्रा के कामों को निपटाने में भी परेशानी का अनुभव होता है।
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घर की सफाई के साथ व्यक्तिगत स्वच्छता भी जरूरी – Importance of Personal Hygiene
- व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए सबसे पहले शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें। इसके लिए साफ-सुथरे कपड़े पहने। नाखूनों पर ध्यान दें, बाल और दांतों की सफाई भी बहुत जरूरी है।
- मानसिक स्वच्छता के लिए सकारात्मक सोच बनाएं रखें। रोजाना लाइफस्टाइल में योग और प्राणायाम को शामिल करें। कुछ समय ऐसी चीजों के लिए निकाले जिन्हें करने में आपको खुशी का अनुभव होता है।
- संबंधों में सभ्यता, सहानुभूति, ईमानदारी और सभ्य व्यवहार सामाजिक स्वच्छता को बनाने का काम करता है। कोशिश करें की मन में किसी के लिए बैर की भावना न रखें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मेंटल प्रॉब्लम कितने प्रकार के होते हैं?
मानसिक बीमारियों में मूड डिसऑर्डर, एंग्जायटी डिसऑर्डर, ईटिंग डिसऑर्डर, एडीएचडी, पीटीएसडी, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, सब्सटांस यूज डिसऑर्डर, साइकोटिक डिसऑर्डर सबसे प्रमुख होते हैं। इन डिसऑर्डर की चपेट में आने के बाद व्यक्ति मानसिक रूप से खुद को फिट महसूस नहीं कर पाता है।
मानसिक बीमारी के 5 लक्षण क्या हैं?
मानसिक बीमारी में व्यक्तियों को उम्र और दूसरे मापदंडो के हिसाब से अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसमें सबसे ज्यादा सामान्य है अतार्किक विचार, अनुचित क्रोध या चिड़चिड़ापन, एकाग्रता और याददाश्त में कमी और बातचीत पर नज़र न रख पाना।
क्या मानसिक बीमारी बिना दवा के ठीक हो सकती है?
यह इस बात पर निर्भर करता है की आप कितनी गंभीर स्थिति तक पहुंचे हैं। बिना दवाओं के डिप्रेशन से छुटकारा तभी पाया जा सकता है जब आप ज्यादा गंभीर तक न पहुंचे हो।
डिप्रेशन किसकी कमी से होता है?
जब शरीर में विटामिन B9, B6 और B12 की कमी होनी शुरू हो जाती है तो न्यूरोट्रांसमीटर बाधित होने लगते हैं। इससे डिप्रेशन की समस्या पनपना शुरू हो जाती है। विटामिन बी की कमी को दूर करने के लिए डेयरी उत्पाद, मटर, बीन्स और हरी सब्जियां खाने में जरूर शामिल करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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