Anorexia Nervosa kya Hai | वजन बढ़ने का डर बना सकता है इस गंभीर बीमारी का शिकार

न्यू मॉडर्न एरा में हर कोई खुद को स्लिम एंड ट्रिम देखना पसंद करता है। इसी वजह से लोग सुबह-शाम जिम में पसीना बहाते नजर आते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो वजन बढ़ने के डर से खाना खाना ही छोड़ देते हैं। उन्हें लगने लगता है कि वो कुछ भी खाएंगे तो मोटे हो जाएंगे। ऐसे लोग अपने वजन को लेकर डर में जीने लगते हैं। ऐसा महसूस होना आम बात नहीं है। दरअसल यह एक गंभीर बीमारी है। इस स्थिति को एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia nervosa) कहते हैं। आइए कानपुर के जनरल फिजिशन डॉ. सोनी व्यास से समझते हैं की Anorexia Nervosa kya Hai और इस गंभीर बीमारी से कैसे बचा जा सकता है।

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एनोरेक्सिया नर्वोसा क्या है – Anorexia Nervosa kya Hai 

एनोरेक्सिया नर्वोसा में व्यक्ति को अपने शरीर के वजन के प्रति गलत अवधारणाएं पैदा होनी शुरू हो जाती हैं। इसमें व्यक्ति असामान्य रुप से शरीर का कम वजन, बहुत ज्यादा वजन बढ़ने का डर और शरीर के वजन के प्रति अन्य कई गलत अवधारणाएं बनाना शुरू कर देता है। एनोरेक्सिया से पीड़ित लोग अपने वजन और आकार को इस तरह से नियंत्रित करने लगते हैं कि उनका जीवन खतरे में आ जाता है। दरअसल यह लोग अपना वजन कम रहने को लेकर अपना खाना अत्यधिक सीमित कर देते हैं। इतना ही नहीं खाना खाने के बाद उल्टी तक करते हैं। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा व्यायाम करके वजन कम करने की भी कोशिश में लगे रहते हैं। ऐसे में एनोरेक्सिया से पीड़ित लोगों को कुपोषण व अन्य खतरनाक स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती है, जिसमें उनकी कि मृत्यु तक हो जाती है।

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एनोरेक्सिया किसे प्रभावित करता है?- Anorexia Nervosa In Hindi 

एनोरेक्सिया सबसे ज्यादा किशोरों और युवा वयस्क महिलाओं को प्रभावित करता है, हालांकि यह पुरुषों में भी होता है। बच्चों और बड़े वयस्कों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। यदि किसी व्यक्ति में एनोरेक्सिया के लक्षण और संकेत मौजूद होते हैं, तो डॉक्टर हेल्थ हिस्ट्री जानकर और शारीरिक परीक्षण करके मूल्यांकन शुरू करते हैं।

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एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे मिलता है आराम 

इस दौरान डॉक्टर आहार संबंधी इतिहास (खाने के प्रति दृष्टिकोण, आहार प्रतिबंध)। व्यायाम इतिहास। मनोवैज्ञानिक इतिहास। शारीरिक इमेज। खाने के बाद उल्टी करने जैसी आदतें। भोजन संबंधी विकारों का पारिवारिक इतिहास। मासिक धर्म की स्थिति। दवा का इतिहास। पूर्व उपचार से जुड़े सवाल पूछते हैं। बता दें कि एनोरेक्सिया या किसी भी खाने के विकार से पीड़ित व्यक्ति को अगर जल्दी निदान मिल जाए तो उसका रिकवरी परिणाम अच्छा होता है।

एनोरेक्सिया के लक्षण-Anorexia Nervosa symptoms in Hindi

आप किसी व्यक्ति को देखकर यह नहीं बता सकते कि उसे एनोरेक्सिया है या नहीं, क्योंकि एनोरेक्सिया में शारीरिक के साथ मानसिक और व्यवहारिक घटक भी शामिल होते हैं। ऐसे में एनोरेक्सिया के कई भावनात्मक, व्यवहारिक और शारीरिक लक्षण होते हैं।

एनोरेक्सिया के भावनात्मक और मानसिक लक्षण

  • वजन बढ़ने का बहुत ज्यादा डर होना।
  • अपने शरीर के वजन और आकार का वास्तविक आंकलन ना कर पाना।
  • डाइटिंग में अत्यधिक रुचि होना।
  • खुद को मोटा महसूस करना, भले ही आपका वजन कम हो।
  • लगातार सुधार के लिए प्रयास करना और खुद के प्रति आलोचनात्मक होना।
  • भूख दबाने वाली दवाओं का उपयोग करना।
  • दूसरों के लिए भोजन बनाना लेकिन अपने लिए नहीं।
  • चिड़चिड़ापन या अवसाद महसूस करना।
  • आत्म-क्षति या आत्महत्या के विचार आना।
  • बार-बार बीमार होना।
  • महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म होना।
  • घटे हुए वजन को छिपाने के लिए ढीले कपड़े पहनना।
  • बलपूर्वक व्यायाम करना।
  • बेकार या निराश महूसस करना।
  • दोस्तों और समाज से दूरी बना लेना।

एनोरेक्सिया के शारीरिक लक्षण

  • ठंड बर्दाश करने में समस्या होना।
  • बालों और नाखूनों में कमजोरी होना।
  • त्वचा का सूख जाना या पीलापन आ जाना।
  • शरीर में खून की कमी होना।
  • कब्ज होना।
  • जोड़ो में सूजन आ जाना।
  • दांत खराब हो जाना।

एनोरेक्सिया के कारण-Causes of Anorexia nervosa

एनोरेक्सिया का सटीक कारण अभी तक अज्ञात है, लेकिन रिसर्च से पता चलता है कि आनुवंशिक, मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारक इसके लिए जिम्मेदार होते हैं।
आनुवंशिकी कारण: रिसर्च में सामने आया है कि खाने के विकार विकसित होने का लगभग 50 से 80 प्रतिशत जोखिम का कारण आनुवंशिक होता है। जिन लोगों के भाई-बहन या माता-पिता खाने के विकार से पीड़ित हैं, उनमें खाने के विकार विकसित होने की संभावना 10 गुना ज्यादा होती है।
मनोवैज्ञानिक कारण: कुछ भावनात्मक कारण भी ऐनोरेक्सिया के कारण होते हैं। युवा महिलाओं में सिर्फ एक प्रकार का खाना खाना और भूख लगने के बावजूद खाना न खाना जैसे मनोवैज्ञानिक लक्षण होते हैं। महिलाओं को अक्सर लगता है कि वो मोटी होती जा रही हैं। ऐसे में वो वजन कम करने के लिए बहुत चिंता में रहती हैं और अपने खाने में प्रतिबंध लगा देती है।
पर्यावरण कारण: आधुनिक पश्चिम संस्कृति के कारण भी लोग अपने पतलेपन पर जोर देने लगे हैं। पश्चिम संस्कृति के अनुसार सुंदरता की संपूर्णता के पतला होना जरूरी है। अगर आप पतले हैं तो ही आप पूर्ण रूप से सुंदर हैं। ऐसे में लोग खुद को सुंदर बनाएं रखने में काफी जोर देते हैं, और कई लोगों में यह सोच उन्हें ऐनोरेक्सियां से पीड़ित बना देती है।
साथियों का दबाव : बच्चों और किशोरों पर साथियों का दबाव बहुत ज्यादा होता है। साथियों का वजन के कारण उन्हें चिढ़ाना, धमकाना या उनका उपहास करना उनमें एनोरेक्सिया के विकास का बड़ा कारण हो सकता है।

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एनोरेक्सिया से बचाव- Prevention of anorexia

एनोरेक्सिया से बचाव को कोई सिद्ध तरीका तो नहीं है, लेकिन डॉक्टर एनोरेक्सिया के शुरूआती लक्षणों को पहचान कर इसके पूर्ण विकास को रोक सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपके किसी पारिवारिक सदस्य या दोस्त को आत्मसम्मान की समस्या, खाने से जुड़ी गंभीर आदतें और खुद से अंसतोष है, तो इसे लेकर आप डॉक्टर से बात कर सकते हैं। जिससे कि समय रहते एनोरेक्सियो को पूर्ण रूप  से विकसित होने से रोका जा सके।

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एनोरेक्सिया का इलाज – Treatment of anorexia

डॉक्टर एनोरेक्सिया नर्वोसा के मानदंडों के आधार पर किसी व्यक्ति का इलाज कर सकते है। DSM-5 के तहत एनोरेक्सिया नर्वोसा के तीन मानदंड इस प्रकार हैं:

  1. कैलोरी उपभोग पर प्रतिबंध के कारण वजन कम हो जाता है या वजन न बढ़ पाने के कारण शरीर का वजन काफी कम हो जाता है, जो उस व्यक्ति की आयु, लिंग, ऊंचाई और विकास के चरण पर निर्भर करता है।
  2. वजन बढ़ने या मोटा हो जाने का बहुत ज्यादा डर।
  3. खुद के बारे में विकृत दृष्टिकोण रखना। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि व्यक्ति अपने शरीर के वजन और आकार का वास्तविक रूप से आंकलन करने में असमर्थ है और साथ ही वे अपने वजन या भोजन प्रतिबंध की हेल्थ गंभीरता से इनकार करते हैं।

इन तीनों मापदंडों के आधार पर डॉक्टर्स मूल्यांकन शुरू करके उचित ईलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।

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एनोरेक्सिया के निदान के लिए परीक्षण

एनोरेक्सिया के निदान के लिए कोई प्रयोगशाला परीक्षण उपलब्ध नहीं है, फिर भी डॉक्टर रक्त परीक्षण जैसे विभिन्न नैदानिक परीक्षण कराते हैं। जिससे वजन घटने का कारण बनने वाली किसी भी हेल्थ स्थिति का पता लगाया जा सके और वजन घटने और भूख से होने वाली शारीरिक क्षति का मूल्यांकन किया जा सके।
ऐसे में वजन कम होने से होने वाली बीमारी का पता लगाने या एनोरेक्सिया के दुष्प्रभावों का आंकलन करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट कराएं जा सकते हैं: जैसे-

  • सम्पूर्ण स्वास्थ्य का आंकलन करने के लिए बल्ड टेस्ट।
  • रक्त के अम्ल-क्षार संतुलन की जांच के लिए इलेक्ट्रोलाइट रक्त पैनल टेस्ट।
  • यकृत के स्वास्थ्य और पोषक तत्वों की कमी की जांच के लिए एल्बुमिन रक्त परीक्षण।
  • हृदय स्वास्थ्य की जांच के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईकेजी)।
  • मूत्र जांच।
  • कमजोर हड्डियों (ऑस्टियोपोरोसिस) की जांच।
  • किडनी कार्य परीक्षण।
  • लिवर फ़ंक्शन परीक्षण।
  • थायरॉइड फंक्शन परीक्षण।
  • विटामिन डी स्तर की जांच।

एनोरेक्सिया का इलाज कैसे होता है-Anorexia ka Ilaaz Kya Hai

एनोरेक्सिया के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती व्यक्ति को यह पहचान और स्वीकार कराना है कि उसे कोई बीमारी है। एनोरेक्सिया से पीड़ित कई लोग इस बात से इनकार करते हैं कि उन्हें खाने से जुड़ा कोई विकार है। वे अक्सर तभी इलाज कराते हैं जब उनकी स्थिति गंभीर या जानलेवा हो जाती है। यही कारण है कि एनोरेक्सिया का शुरुआती चरणों में निदान और उपचार करना आवश्यक होता है।
एनोरेक्सिया के उपचार के लक्ष्य
• वजन घटाने में स्थिरता लाना।
• वजन सामान्य करने के लिए पोषण पुनर्वास की शुरुआत करना।
• अत्यधिक भोजन करने या शौच संबंधी व्यवहार व अन्य समस्या ग्रस्त भोजन पैटर्न को समाप्त करना।
• कम आत्मसम्मान और विकृत सोच पैटर्न जैसे मनोवैज्ञानिक मुद्दों का इलाज करना।
• दीर्घकालिक व्यवहारिक परिवर्तन विकसित करना।
एनोरेक्सिया सहित भोजन संबंधी विकार वाले लोगों में अक्सर अतिरिक्त मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं। जैसे- अवसाद । चिंता अशांति । अस्थिर व्यक्तित्व की परेशानी ।अनियंत्रित जुनूनी विकार । पदार्थ उपयोग विकार आदि।
ये स्थितियां एनोरेक्सिया को और भी जटिल बना देती हैं, इसलिए यदि किसी व्यक्ति में इनमें से एक या अधिक स्थितियां हैं, तो डॉक्टर इस स्थिति के लिए भी उपचार की सिफारिश करते हैं।

डिस्क्लेमर- यह सामग्री एक्सपर्ट की हेल्प से केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं हो सकता है। किसी भी तरह के उपयोग से पहले किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।

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