Metabolism kam kyu ho Jata Hai | क्या आप स्लो मेटाबॉलिज्म से हैं परेशान, ये आदतें हैं जिम्मेदार

मेटाबॉलिज्म मजबूत हो तो शरीर कई तरह की बीमारियों से बचा रहता है। इससे वेट कंट्रोल करने में मदद मिलती है। वहीं शरीर अपना काम भी सही से कर पाता है। मगर आजकल खराब लाइफस्टाइल की वजह से ज्यादातर लोग मेटाबॉलिज्म स्लो होने की समस्या का सामना कर रहे हैं। स्लो मेटाबॉलिज्म वजन बढ़ने और हाई ब्लड प्रेशर जैसी कई तरह की समस्याओं की वजह बनता है। मेटाबॉलिज्म को तेज करने के लिए सबसे पहले यह जानने की जरूरत है की Metabolism Kam Kyu Ho jata Hai। डायटीशियन नीरू मेहता ने बताई कुछ ऐसी आदतें जो मेटाबॉलिज्म स्लो करने के लिए जिम्मेदार है। आइए जानते हैं कौन सी हैं ये आदतें।

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क्या है मेटाबॉलिज्म- Metabolism Kya Hota Hai

Metabolism Kya Hota Hai क्या होता है यह सवाल हर किसी के मन में आता है। दरअसल शरीर में होने वाली एक रासायनिक प्रक्रिया को मेटाबॉलिज्म कहा जाता है। किसी भी तरह के काम को करने के लिए शरीर को एनर्जी की जरूरत पड़ती है। इसी एनर्जी को पाने के लिए हम खाना खाते हैं और खाने को पचाकर एनर्जी में बदलने के इस पूरे प्रोसेस को ही मेटाबॉलिज्म कहा जाता है।  दरअसल भोजन से पोषक तत्वों को उर्जा में बदलने का काम मेटाबॉलिज्म ही करता है। सांस लेना, भोजन को पचाना, ब्लड सर्कुलेशन, बॉडी को मूव करना, क्षतिग्रस्त ऊतकों और कोशिकाओं की मरम्मत के लिए ऊर्जा प्रदान करना शरीर में होने वाले ये सारे फंक्शन मेटाबॉलिज्म ही करता है।

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क्यों स्लो हो जाता है मेटाबॉलिज्म – Metabolism kam kyu ho Jata Hai

नींद पूरी न लेना-Reasons for slow metabolism

आजकल ज्यादातर लोग नींद न आए तो क्या करें की दिक्कत का सामना कर रहे हैं और मेटाबॉलिज्म स्लो होने की एक वजह है पर्याप्त और पूरी नींद न लेना भी है। रोजाना 7 से 8 घंटे की क्वालिटी स्लीप लेनी बहुत ज्यादा जरूरी है। अगर आप रोजाना 4 से 5 घंटे ही सो पाते हैं तो इसका सीधा असर आपके मेटाबॉलिज्म पर दिखाई देगा। दरअसल इससे मेलाटोनिन हार्मोन, स्लीप हार्मोन का संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाता है। जिससे मोटापे की परेशानी का सामना करना पड़ता है।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर ध्यान न देना  

जब कोई व्यक्ति दौड़ना, वॉक करना, साइकिलिंग करना आदि बंद करके केवल सिर्फ कार्डियो एक्सरसाइज जैसे सिर्फ ट्रेडमिल पर दौड़ते हैं तो इससे भी मेटाबॉलिज्म स्लो होने की शिकायत शुरू हो जाती है। डॉक्टर्स भी मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर ध्यान देने की सलाह देते हैं। इसके लिए आप योग को अपनी लाइफस्टाइल में शामिल कर सकते हैं।

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प्रोटीन का सेवन कम करना

प्रोटीन हमारे शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। मगर बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो प्रोटीन का बहुत कम मात्रा में सेवन करते हैं। ऐसे में यह देखने को मिलता है की जो लोग प्रोटीन के बदले कार्ब्स ज्यादा लेते हैं। ऐसे लोगों का मेटाबॉलिज्म खुद ब खुद स्लो होता चला जाता है।

वर्कआउट टाइमिंग बहुत लंबी होना 

इन दिनों कई लोग खुद को फिट और फाइन रखने के चक्कर में काफी लंबा वक्त वर्कआउट करने में बिताते हैं। जरूरत से ज्यादा किया गया वर्कआउट भी मेटाबॉलिज्म को स्लो करने का काम करता है। ऐसे में कोशिश करें की जिम में जाने के साथ ही कुछ समय योग, प्राणायाम और मेडिटेशन के लिए भी निकाले।

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सेडेंट्री लाइफस्टाइल भी बनती है वजह

मेटाबॉलिज्म को तेज करने में लाइफस्टाइल बड़ी ही अहम भूमिका निभाती है। अगर आप चाहते हैं की आप फिट और फाइन रहें तो इसके लिए आपका फिजिकल एक्टिविटीज में इन्वॉल्व होना जरूरी है। सेडेंट्री लाइफस्टाइल का मतलब ही यही होता है की कोई एक्टिविटी नहीं करना, हर वक्त बैठे रहना और यह हर वक्त का आराम आपको कई बीमारियों का शिकार बना देगा।

कम मात्रा में कैलोरी का सेवन

कुछ लोग वजन कम करने के चक्कर में बहुत ही कम मात्रा में खाना खाते हैं। शरीर में लो कैलोरी पहुंचने की वजह से हंगर हार्मोन बढ़ जाते हैं जिससे बहुत क्रेविंग होनी शुरू हो जाती है। ऐसे में आपको ज्यादा से ज्यादा मीठा खाने का मन होता है। इस वजह से भी आपका मेटाबॉलिज्म स्लो होना शुरू हो जाता है।

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रात को देर तक जागना 

आज के युवा देर रात तक जागना पसंद करते हैं। मगर ये एक आदत हमारे शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचाने का काम करती है। दरअसल नींद पूरी नहीं होने पर बॉडी का मेटाबॉलिक रेट खुद ब खुद कम होना शुरू हो जाता है। इसलिए कोशिश करें की रात को तय समय पर सोने चले जाएं जिससे आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में नींद मिल सके।

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मेटाबॉलिज्म कैसे बढ़ाएं- Metabolism Kaise Badhaye

  • कोशिश करें की अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन शामिल करें।
  • अपने मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करना चाहते हैं तो ज्यादा से ज्यादा पानी पियें और अपनी बॉडी को हाइड्रेट रखने का प्रयास करें। इससे आपको वजन कम करने में मदद मिलेगी।
  • खुद को फिजिकल एक्टिविटीज में इन्वॉल्व करें। सारा दिन आराम फरमाने की आदत आपके  मेटाबॉलिज्म को स्लो कर देती है।
  • हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करके भी आप अपने मेटाबॉलिज्म को बढ़ा सकते हैं। हाई इंटेंसिटी वर्कआउट अधिक वसा को जलाने में भी सहायक साबित होता है।

कितना होना चाहिए मेटाबॉलिज्म- kitna hona chahiye metabolism

अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है की मेटाबॉलिज्म कितना होना चाहिए। इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है की मेटाबॉलिज्म के दो प्रकार होते हैं। जिसमें पहला नाम आता है बीएमआर (बेसल मेटाबॉलिक रेट) का वहीं दूसरे नंबर पर आता है आरएमआर (रेस्टिंग मेटाबॉलिक रेट)। दरअसल जब हम आराम कर रहे होते हैं तब भी शरीर से ऊर्जा की खपत हो रही होती है। जितनी कैलरी का सेवन हम दिन भर में करते हैं उसका 75 फीसदी भाग आरएमआर के लिए इस्तेमाल होता है। बाकी बचा भाग ही पाचन एवं अन्य गतिविधियों के लिए प्रयोग होता है। आमतौर पर एक महिला को दिन भर में 1200 कैलरी की जरूरत आरएमआर के लिए पड़ती है। वहीं दूसरी गतिविधियों के लिए एक महिला को 200-400 कैलरी की आवश्यकता पड़ती है। अगर बात पुरुषों की करें तो उन्हें आरएमआर के लिए 1300 कैलरी और अन्य गतिविधियों के लिए 1400-1600 कैलरी की आवश्यकता पड़ती है।

मेटाबॉलिक रेट जानने में स्मार्ट वॉच की ले सकते हैं मदद- Smart Watch Fitness Band Check Metabolic Rate

स्मार्ट वॉच, फिटनेस बैंड, ट्रैकिंग डिवाइस जैसे वियरेबल गैजेट्स की मदद से भी आप अपनी बॉडी का मेटाबॉलिक रेट पता लगा सकते हैं। दरअसल अमेरिका में एक हेल्थ स्टडी की गई। इस स्टडी को सर्च इंजन गूगल ने किया है। इस स्टडी में 21 से 80 साल के 1500 ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो फिटनेस बैंड या स्मार्ट वॉच पहनते थे। इस स्टडी को WEAR-ME नाम दिया गया। स्टडी के बाद यह दावा किया गया की स्मार्ट वॉच, फिटनेस बैंड जैसे वियरेबल गैजेट्स की मदद से बॉडी के मेटाबॉलिक रेट पर नजर रखी जा सकती है।

जानिए स्मार्ट गैजेट्स कैसे लगा पाते हैं मेटाबॉलिक रेट का पता

स्मार्ट वॉच और फिटनेस बैंड जैसे ट्रैकिंग डिवाइस सेंसर और एल्गोरिदम की मदद से ब्लड प्रेशर मापते हैं। इन डिवाइस में लगा सेंसर कलाई की आर्टरीज में ब्लड फ्लो पर नजर रखते हैं और ब्लड फ्लो के हर तरह के बदलाव को नोटिस करते हैं। ब्लड फ्लो का घटना या बढ़ना दोनों ही कंडीशन शरीर में हो रही किसी भी तरह की गड़बड़ की ओर इशारा होता है। साथ ही ये स्मार्ट गैजेट्स ग्लूकोज और लैक्टेट जैसे ऐसे बायोमार्कर मॉलिक्यूल्स जो की एक्सरसाइज के दौरान निकले पसीने में पाए जाते हैं उन्हें ट्रैक करने में भी मदद करते हैं। इससे ग्लूकोज से जुड़ी मेटाबॉलिज्म की जानकारी मिल पाती है।

लो मेटाबॉलिज्म के लक्षण- Metabolism Kam Hone Ke Lakshan

  • अचानक ही वजन में गिरावट आना या बढ़ोतरी होना
  • खाना खाने की इच्छा नहीं होना या फिर अचानक ही भूख नहीं लगना
  • पाचन तंत्र में कमजोरी महसूस होना या लगातार पेट से जुड़ी समस्याओं का उभरना
  • घबराहट या बेचैनी महसूस होना
  • बिना किसी वजह के थका हुआ और अजीब सी कमजोरी महसूस होना

मेटाबॉलिक रेट बिगड़ने पर घेर लेती हैं ये बीमारियां

  1. हाई ब्लड प्रेशर
  2. थायरॉइड 
  3. किडनी से जुड़ी बीमारियां होना
  4. यूरिक एसिड बढ़ना
  5. मोटापा
  6. डायबिटीज

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

क्या खाने से मेटाबॉलिज्म बनता है?

प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा वाले फूड्स डाइट में शामिल करने से निश्चय रूप से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। साथ ही अपने खाने में अंडे के अलावा मूंगफली, मूंग दाल, पनीर और मिल्क प्रोडक्ट्स भी शामिल करें।

कैसे पता चलेगा कि मेटाबॉलिज्म धीमा है?

यदि वजन कम करने के लिए आपको जरूरत से ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है वहीं वजन बढ़ाना आसान लगता है तो आपको भी ऐसा होने की संभावना है। साथ ही थकान, खराब पाचन, कब्ज, ख़राब मूड और शरीर का औसत तापमान से अधिक ठंडा होने जैसे लक्षण भी शामिल हैं।

क्या दूध पीने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है?

जी हां, दूध पीने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। दूध में कैल्शियम होता है, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। साथ ही दूध में प्रोटीन और कैल्शियम के अलावा विटामिन बी12, मैग्नीशियम और जिंक भी पाया जाता है, जो वजन घटाने में मददगार साबित होते हैं।

डिस्क्लेमर: यह सामग्री सलाह सहित केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए लिखी गई है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। 

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