आजकल ज्यादातर लोग आंखों से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। खराब लाइफस्टाइल के चलते लोगों में आंखों की समस्याएं ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। आंखों से जुड़ी समस्याओं में कुछ परेशानियां ऐसी भी होती हैं जिनके निदान के लिए डॉक्टर से सम्पर्क करना बेहद जरूरी है। इसी क्रम में आज हम आपको आंख से जुड़ी एक ऐसी बीमारी या स्थिति के बारे में बता रहे हैं जिसके प्रमुख कारणों में तनाव लेना और कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग शामिल हैं। आंख की इस स्थिति को सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी या सेंट्रल सीरस कोरियोरेटिनोपैथी कहते हैं। कानपुर के आई स्पेशलिस्ट डॉ. मोहित गोयल से समझते हैं की Central Serous Retinopathy Kya Hai। आखिर यह गंभीर समस्या उत्पन्न क्यों होती है और इससे कैसे निजात पाया जा सकता है।
सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी क्या है- Central Serous Retinopathy Kya Hai
सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी (CSR) आंख की एक ऐसी स्थिति है, जो आपकी आंख की रेटिना के सेंट्रल क्षेत्र को प्रभावित करती है जिसे हम मैक्युला कहते है। सीएसआर में इस मैक्युला के नीचे तरल पदार्थ जमा हो जाता है। यह तरल पदार्थ रेटिना को खराब कर सकता है। जिससे आपको दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती है।
आमतौर पर 20 से 50 वर्ष की आयु के लोगों को सीएसआर ज्यादा प्रभावित करता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है और वृद्ध लोगों में भी इस समस्या के होने की संभावना ज्यादा होती है। अधिकांश लोगों में, सीएसआर अपने आप ठीक हो जाता है और दृष्टि में भी कोई दीर्घकालिक परिवर्तन नहीं होता है। कुछ लोगों में यह फिर से हो सकता है। सीएसआर का बार-बार होना आपकी दृष्टि या आंखों की रोशनी में स्थायी रूप से परिवर्तन ला सकता है। ऐसे में इससे बचने के लिए डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।
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सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी के कारण – Causes of central serous retinopathy
सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी होने के कारणों की बात की जाए तो अभी इसके होने का सटीक कारण का पता नहीं लग पाया है। मगर कुछ चीजों को सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी होने की बड़ी वजहों के रूप में गिना जाता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो कारन।
वैज्ञानिकों के अनुसार सीएसआर होने में तनाव अपनी अहम भूमिका निभाता है। दरअसल जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर रक्तप्रवाह में कोर्टिसोल नामक एक प्राकृतिक स्टेरॉयड छोड़ता है, जो तनाव से निपटने में मदद करता है। कोर्टिसोल हमारे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी होता है, लेकिन कोर्टिसोल का लगातार बढ़ा हुआ स्तर कभी-कभी शरीर के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। जैसे- संक्रमण से लड़ने की क्षमता में कमी और रक्त वाहिकाओं की कमजोरी। ऐसे में वर्तमान में कॉर्टिसोल को सीएसआर का कारण माना जाता है, लेकिन सीएसआर के लिए कॉर्टिसोल अकेले जिम्मेदार नहीं है।
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कॉर्टिकोस्टेरॉइड युक्त दवाओं का उपयोग भी बनता है वजह
कॉर्टिकोस्टेरॉइड युक्त दवाओं का उपयोग भी सीएसआर का कारण है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड कई रूप में उपयोग में आते हैं जैसे- स्किन के इलाज के लिए यूज होने वाली क्रीम में। अस्थमा के लिए यूज होने वाले इन्हेलर में। आर्थोपेडिक स्थिती में यूज होने वाले इंजेक्शन में। नाक स्प्रे में और प्रेडनिसोन जैसी मौखिक गोलियों आदि में।
स्वप्रतिरक्षी रोग भी वजह में है शामिल
स्वप्रतिरक्षी रोग जैसे- ल्यूपस और रुमेटी गठिया। हृदय रोग या उच्च रक्तचाप। गुर्दे की बीमारी जैसे- ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस। एच.पाइलोरी जीवाणु संक्रमण। गर्भावस्था औप स्लीप एप्निया सिंड्रोम आदि सीएसआर के कारण हैं।
सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी के लक्षण – Symptoms of central serous retinopathy
सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी की समस्या एक ही समय में एक या दोनों आंखों में हो सकती है। जिसमें इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं।
- आंखों की रोशनी धुंधली हो जाना।
- आपकी दृष्टि के केंद्र में काला धब्बा नजर आना।
- दृष्टि का अधिक गहरा या धुंधला हो जाना।
- सफेद चीजें फीकी या कुछ हद तक भूरी नजर आना।
- चीजें अपनी वास्तविक स्थिति से छोटी या अधिक दूर प्रतीत होना।
- सीधी रेखाएं टेढ़ी या मुड़ी हुई नजर आना।
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाना।
- एक दिन से दूसरे दिन तक में आंखों की रोशनी में उतार-चढ़ाव होना।
बता दें सेंट्रल सीरस कोरियोरेटिनोपैथी की स्थिति में हमेशा लक्षण नजर नहीं आते हैं। वही, अगर किसी व्यक्ति को सीएसआर होता भी है, तो जरूरी नहीं कि उसकी आंखों की रोशनी में कोई समस्या आए।
सीएसआर निदान और परीक्षण -Diagnosis and testing of CSR
अगर आपकी आंखों की रोशनी में कोई परिवर्तन होता है, तो आपको तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। प्राथमिक तौर वे आपसे आपके लक्षणों के बारे में जानकर कुछ रेटिना टेस्ट करा सकते हैं। जैसे- फ्लोरेसिन एंजियोग्राफी (IVFA) और ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT)।
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सीएसआर का उपचार-Treatment of central serous retinopathy
सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी की स्थिति ज्यादातर लोगों में कुछ हफ्तों या महीनों में अपने आप ठीक हो जाती हैं, लेकिन कुछ लोगों में, सीएसआर क्रोनिक भी हो सकता है, जो 12 से अधिक महीनों तक चल सकता है। ऐसे में दृष्टि को अधिक जोखिम रहता है क्योंकि आंख के पीछे की रेटिना परतें लंबे समय तक सूजन के कारण क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
ऐसे में पहले डॉक्टर आपको निगरानी में रखते हैं और ऐसी दवाएं लेना बंद करने के लिए भी कह सकते हैं जो आंखों की समस्या को बढ़ाती हैं। साथ ही वे आपको तनाव कम करने की सलाह दे सकते हैं। यदि निगरानी के कुछ महीनों के बाद भी रेटिना के पीछे द्रव अपने आप नहीं निकलता है, तो सीएसआर का इलाज किया जाता है।जिसमें शामिल है –
दवाएं: सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी के इलाज में कुछ दवाएं फायदेमंद होती है। जैसे- एंटी-वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर आंखों में नई रक्त वाहिकाओं को बढ़ने से रोक सकता है।
फोटोडायनामिक थेरेपी: इसमें आपके हाथ में वर्टेपोर्फिन नामक दवा इंजेक्ट की जाती है जो आपकी आंख तक जाती है। इसके बाद आंख के उस हिस्से पर एक कोल्ड लेजर का उपयोग किया जाता है जहां रिसाव है। इससे रिसाव को बंद करने में मदद मिलती है।
अन्य लेजर उपचार: इसमें थर्मल लेजर उपचार में रिसाव को बंद करने के लिए गर्म लेजर का उपयोग किया जाता है। माइक्रोपल्स लेजर में छोटे, कम समय तक चलने वाले लेजर पल्स का उपयोग होता है।
- बता दें सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी को रोकना तो संभव नहीं है लेकिन आप तनाव को नियंत्रित करके और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के उपयोग को सीमित कर इसके जोखिम को कम कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी से पीड़ित होने पर मैं कैसे अपनी देखभाल करूं?
लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर आप अपनी सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी को रोकने या सुधारने में मदद कर सकते हैं। जैसे- कम से कम सात घंटे जरूर सोए। कैफीन, शराब और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का सेवन कम करें। तनाव में कम रहें। व्यायाम और ध्यान करें।
दृष्टि में परिवर्तन होने पर मुझे डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
वैसे सेंट्रल सीरस रेटिनोपैथी अपने आप ठीक हो सकती है, लेकिन कभी-कभी ये स्थिति और भी खराब हो सकती है जो स्थायी दृष्टि परिवर्तन का कारण बन सकती है। ऐसे में अगर आपको रोशनी में कोई परिवर्तन नजर आएं तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
डिस्क्लेमर- यह सामग्री एक्सपर्ट की हेल्प से केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं हो सकता है। किसी भी तरह के ईलाज को शुरू करने से पहले किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
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