हृदय, हमारे शरीर का वो मुख्य अंग है, जो जीवन के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन आज कल की खराब जीवन शैली के कारण लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। हार्ट से जुड़ी बीमारियों में कोरोनरी धमनी रोग, कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक, हृदय वाल्व रोग, हार्ट फेलियर, दिल की असामान्य गति आदि शामिल हैं। इसके अलावा हार्ट में पानी भरना भी एक गंभीर समस्या है। जिसे मेडिकल भाषा में पेरिकार्डियल इफ्यूजन (Pericardial Effusion) कहते हैं। इसमें अगर सही समय पर इलाज ना मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है। आइए लखनऊ के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हिमांशु गुप्ता से विस्तार से जानते हैं कि Pericardial Effusion kya hota hai और इसके शुरुआती लक्षण, कारण और इलाज क्या है।
क्या है पेरिकार्डियल इफ्यूशन – Pericardial Effusion kya hota hai
हृदय और उसके आसपास एक पेरिकार्डियम नाम की रेशेदार थैली होती है। इसमें दो पतली परतें होती हैं और उनके बीच थोड़ी मात्रा में तरल पदार्थ होता है। जब इन दो परतों के बीच अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा हो जाता है तब इसे पेरीकार्डियल इफ्यूजन कहते हैं। पेरीकार्डियम थैली की मदद से हमारा दिल धड़कनें बनाने के दौरान सरलता से हिल-ढुल पाता है। लेकिन जब इस थैली के बीच ज्यादा तरल पदार्थ जमा हो जाता है तो दिल पर दबाव बढ़ जाता है और हार्ट सामान्य रूप से फैल नहीं पाता है। जिससे हार्ट को ब्लड पंप करने में दिक्कत होती है और ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है। जिसके लिए तुंरत इलाज की आवश्यकता होती है।
पेरीकार्डियल इफ्यूशन होने के कारण – Pericardial Effusion Causes
वायरल, बैक्टीरियल और प्रोटोजोअल इन्फेक्शन पेरिकार्डियल इफ्यूजन या हार्ट में पानी भरने की समस्या के सबसे मुख्य कारणों में से एक है। इनके साथ ही साइचोमेगालो वायरस, कॉक्साकि वायरस, एकोवायरस, एचआईवी एड्स, ल्यूपस और ट्यूबरकुलोसिसि आदि की वजह से भी यह परेशानी हो सकती है। जब इन वायरस का इलाज किया जाता है तो पेरिकार्डियल इफ्यूजन के लक्षण अपने आप कम होने लगते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य समस्याएं भी हैं, जो पेरिकार्डियल इफ्यूजन का कारण होती है। जैसे- सर्जरी आदि के दौरान दिल या पेरिकार्डियम में कोई क्षति होना, कैंसर, हार्ट अटैक, किडनी खराब होना, रूमेटाइट आर्थराइटिस और हॉर्मोनल गड़बड़ी आदि।
पेरीकार्डियल इफ्यूशन के लक्षण- Pericardial Effusion Symptoms
- सीने में दर्द होना पेरीकार्डियल इफ्यूशन का सबसे मुख्य लक्षण है। गहरी सांस लेने के दौरान यह दर्द बहुत बढ़ जाता है और आगे की तरफ झुकने पर कम हो जाता है।
- तेज बुखार होना
- थकान महसूस होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- सांस फूलना
- मतली और उल्टी आना
- दस्त लगना
यदि पेरिकार्डियम गंभीर स्थिति में पहुंच गया है तो इसके लक्षण भी गंभीर नजर आते हैं। जैसे- अचानक से सांस फूलना, जी घबराना, धड़कने तेज होना, सिर घूमना, बेहोश होना, स्किन ठंडी पड़ जाना आदि। अचानक से पेरिकार्डियल इफ्यूजन के लक्षण नजर आना गंभीर स्थिति का संकेत होता है।
पेरिकार्डियल इफ्यूशन से बचाव- Prevent Pericardial Effusion
पेरिकार्डियल इफ्यूजन या हार्ट में पानी भरने की समस्या ना हो इसके लिए हमें इन चीजों का विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
1. रूटीन चेकअप कराएं- इस समस्या से बचने के लिए अपको समय-समय पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उनकी सलाह लेकर जांच जरूर करानी चाहिए।
2. हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल: हार्ट में पानी भरने की समस्या हो या फिर शरीर में होने वाली कोई और बीमारी, इससे बचे रहने के लिए हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल सबसे जरूरी है। इसके लिए खाने में साबुत अनाज शामिल करें और एक अच्छी लाइफस्टाइल फॉलो करें।
3. ज्यादा तनाव न लें: अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखें जितना हो सके तनाव से दूर रहने की कोशिश करें। खाने में ऐसी चीज़े शामिल करें जिससे मेंटल हेल्थ दुरुस्त रहे। इससे हार्ट हेल्दी रहता है और इससे जुड़ी बीमारियां भी आपसे दूर रहती हैं।
4. सही समय पर करवाएं इलाज: जैसे ही आपको अपने आप में पेरिकार्डियल इफ्यूजन या हार्ट में पानी भरने के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज कराएं।
पेरीकार्डियल इफ्यूशन का निदान- Diagnosis of pericardial effusion
इसमें सबसे पहले डॉक्टर के द्वारा आपके कुछ टेस्ट कराएं जाते हैं। जिससे समस्या की स्थिति का पता लगाया जा सके। जैसे- छाती का एक्स-रे- इससे हृदय की संरचना को देखा जाता है। वहीं सी.टी. स्कैन या एमआरआई के द्वारा छाती या हृदय की इमेजिंग की जाती है। इकोकार्डियोग्राम (इको) से हृदय के चारों ओर तरल पदार्थ और हृदय की गति देखी जाती है। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) के जरिए हृदय की विद्युत लय का विश्लेषण किया जाता है। इसके अलावा संक्रमण, इम्यून सिस्टम और मेटाबॉलिक समस्याओं के निदान के लिए कई बल्ड टेस्ट कराए जाते हैं।
पेरीकार्डियल इफ्यूशन का इलाज -Treatment of pericardial effusion
पेरीकार्डियल इफ्यूशन का इलाज आपके लक्षणों, उम्र और सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इसके अलावा क्रोनिक और तीव्र पेरीकार्डियल इफ्यूशन के लिए अलग-अलग ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। अगर पेरिकार्डियल इफ्यूजन गंभीर नहीं है, तो दवाओं से इलाज कर दिया जाता है। वहीं, गंभीर पेरिकार्डियल इफ्यूशन को पेरीकार्डियोसेंटेसिस नामक प्रक्रिया से निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में तरल पदार्थ को निकालने के लिए एक सुई और एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) का यूज होता है। अतिरिक्त तरल पदार्थ के निकल जाने के बाद इसके लक्षणों में सुधार होता है। ट्रीटमेंट का रिजल्ट इस बात पर भी निर्भर करता है कि कितनी जल्दी ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया।
पेरीकार्डियल इफ्यूजन की जटिलताएं – Complications of pericardial effusion
ज्यादातर पेरिकार्डियल इफ्यूजन की कोई जटिलता नहीं होती, लेकिन कभी कभी गंभीर जटिलता हो जाती है, जिसे हम कार्डियक टैम्पोनेड कहते है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह शॉक का कारण बन जाता है। जिससे किडनी और शरीर के अन्य अंग फेल हो सकते हैं, जिससे मौत हो सकती है। इसलिए पेरिकार्डियल इफ्यूजन के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए। जांच के बाद सही इलाज लें और सावधानियों का ध्यान रखें। ऐसा करने से आप इस गंभीर स्थिति का शिकार होने से बच सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पेरिकार्डियल फ्लूइड की सामान्य मात्रा कितनी होती है?
आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति की बात की जाए तो पेरिकार्डियल थैली में 15 से 50 मिलीलीटर (एमएल) सीरस द्रव होता है।
दिल के मरीज को कितना पानी पीना चाहिए?
जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है तो हार्ट के अंदर होने वाले ऐसे बदलाव जो हार्ट फेल होने की वजह बनते हैं उनसे बचने में आसानी होती है। इसी वजह से हार्ट फेल होने के खतरे को कम करने के लिए रोजाना 8 गिलास पानी पीना चाहिए।
अधिक पानी पीने से कौन सा अंग खराब होता है?
जब शरीर में जरूरत से ज्यादा पानी जमा हो जाता है तो गुर्दे अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने में सक्षम नहीं रह पाते हैं। इसी वजह से मतली, उल्टी और दस्त होने शुरू हो जाते हैं।
डिस्क्लेमर- यह सामग्री एक्सपर्ट की हेल्प से केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं हो सकता है। पेरिकार्डियल इफ्यूजन से जुड़े किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर के पास जरूर जाएं।